Friday, 24 January 2014

तुम्हारा ख्याल आया
सोचा…..
तुम्हे भी अपना
ख्याल दे दूँ
कुछ कह कर
सताती रहूँ शाम तलक
थोड़ा गुनगुना कर
कानो में घुलती रहूँ
देर तलक
तुम्हें नाम से पुकार कर
सुनाई देती रहूँ
पहरों तलक
तुम्हे छू कर
छेड़ती रहूँ रात तलक
उफ्फ……
बस ख्याल ही तो हूँ
उलझों न

अच्छा.......
मैं सुलझा दूँ
याद करना फिर
ज़िन्दगी तलक………

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