kabhi to aao ruswayiyon ki gehri kaali parchayion s bahar, meri mohabbbt ki jagmagaati roshni m......mujh s milne.....sunaa h Eid ka chaand jab nikalta h to khuda bhi muskurata h......
लोग क्यूँ लिखते है .....इसके सभी के हिसाब से अलग अलग मायने है जैसे उन्होंने ज़िन्दगी मांगी...उसे जीया और चाहा उसे उसी तरह से अपने लेखन में उतारा .... मैं क्यूँ लिखती हूँ क्यूंकि मैं जीना चाहती हूँ और लेखन से अच्छा जीने का कोई बहाना नहीं ....मुझे समझना कई बार मुश्किल हो जाता है और उन हालात में मैं सिर्फ इतना ही कहूँगी की मुझे ज्यादा न सोचो बस.....पढ़ो....यही आसां है.....क्यूंकि मेरा लेखन मुझ-सा है....
Monday 30 January 2012
Saturday 21 January 2012
Wednesday 4 January 2012
तुम्हारी दुनिया खुश नुमा है बहुत
इसकी गहरी खामोशिया हसीं है बहुत
तुम रहो या न रहूँ यहाँ पनाहों में
तुम्हारी खुशबुएँ कातिलाना है बहुत
देर तक रहा करती हूँ तुम्हारे तसवुर में
ये दिलचस्ब ख्यालों की रवानिया मदहोश करती है बहुत
बिन पंखों के आसमा में उडती फिरती हूँ मैं
तुम्हारी मोहब्बत की उचाईयां है बहुत
पा क़र तुम्हे एहसास बहुत ख़ास है मुझे
तमन्ना क्या करू अब,मेरा दामन तेरी बवाफ़ों से लाब्र्रेज़ है बहुत
तुम्हारी दुनिया खुश नुमा है बहुत
इसकी गहरी खामोशिया हसीं है बहुत
तुम रहो या न रहूँ यहाँ पनाहों में
तुम्हारी खुशबुएँ कातिलाना है बहुत
देर तक रहा करती हूँ तुम्हारे तसवुर में
ये दिलचस्ब ख्यालों की रवानिया मदहोश करती है बहुत
बिन पंखों के आसमा में उडती फिरती हूँ मैं
तुम्हारी मोहब्बत की उचाईयां है बहुत
पा क़र तुम्हे एहसास बहुत ख़ास है मुझे
तमन्ना क्या करू अब,मेरा दामन तेरी बवाफ़ों से लाब्र्रेज़ है बहुत
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