लोग क्यूँ लिखते है .....इसके सभी के हिसाब से अलग अलग मायने है जैसे उन्होंने ज़िन्दगी मांगी...उसे जीया और चाहा उसे उसी तरह से अपने लेखन में उतारा ....
मैं क्यूँ लिखती हूँ क्यूंकि मैं जीना चाहती हूँ और लेखन से अच्छा जीने का कोई बहाना नहीं ....मुझे समझना कई बार मुश्किल हो जाता है और उन हालात में मैं सिर्फ इतना ही कहूँगी की मुझे ज्यादा न सोचो बस.....पढ़ो....यही आसां है.....क्यूंकि मेरा लेखन मुझ-सा है....
Saturday, 21 January 2012
hadd hogayi ab to........kamakhaat khamoshi bhi sawal jawab karne lagi.....
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