तुम्हारी दुनिया खुश नुमा है बहुत
इसकी गहरी खामोशिया हसीं है बहुत
तुम रहो या न रहूँ यहाँ पनाहों में
तुम्हारी खुशबुएँ कातिलाना है बहुत
देर तक रहा करती हूँ तुम्हारे तसवुर में
ये दिलचस्ब ख्यालों की रवानिया मदहोश करती है बहुत
बिन पंखों के आसमा में उडती फिरती हूँ मैं
तुम्हारी मोहब्बत की उचाईयां है बहुत
पा क़र तुम्हे एहसास बहुत ख़ास है मुझे
तमन्ना क्या करू अब,मेरा दामन तेरी बवाफ़ों से लाब्र्रेज़ है बहुत
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