Friday 30 November 2012

Mann k andhere itne kaale h ki koi laakh diye jala de inka andhera nahi jayega,
diye jalnae wala he kahin andhkar m kho jayega.....

Sunday 11 November 2012

कई ख्वाब जो आँखों तक ही रह गए
कुछ पल जो बीते हुए कल में रह गये

कुछ बातें जो लबों तक आई ही नहीं
कुछ हसरते जो दिल में जागी भी नहीं

वो एक बात जो मैंने कभी कही भी नहीं
वो तेरा साथ जो मुझे मिला ही नहीं

सारी दुनिया है जब निगाह में
एक तू ही नहीं मीलों तलक नजारों में

मेरी तन्हाई भी अब उब गयी मुझ से
बगावत होती है हर रात नींदों की मुझ से

तुम चले गए तो ये सब भी ले जाते साथ अपने
मुझे क्यूँ दे गए सब वादे ,कसमे,इरादे अपने

मुझ से तो अब तुम्हारा नाता नहीं कोई शायद
बेवक्त का आना जाना भी न रखो अब

क्यूँ चले आते हो सांझ .....सवेरे
मुझे जीन दो सवालो के साथ तुम अपने
चले जाओ अब तुम बिन ही ज़िन्दगी गुज़रेगी
साँस नहीं अब इन सिसकियों से मेरी हर रात गुज़रेगी

बहुत रुलाया तुमने अपनी मोहब्बत की दुहाई दे कर
अब कुछ पल ही सही मुझे अभी अपना मातम मना लेने दो
चले जाओ तुम .....मुझे अकेले जीने दो ....मुझे अकेले जीने दो ....