Tuesday 30 July 2013

वास्ता बस यूँ कि

यादें आती रहें जाती रहें

इसी बहाने कभी यूँही कह

मुस्कुरा लिया करेंगे

गुज़रती बेहाल सी

रफ़्तार भरी ज़िन्दगी में भी

इसी बहाने कभी यूँही कह

दो घड़ी थम जाया करेंगे

दुखती आँखों पर भी

थोड़ा रहम हो जायेगा

इसी बहाने कभी यूँही कह

आंखे मूंद तुम्हें

देख लिया करेंगे

खोलती नहीं दुपट्टे की

वो गांठ चुभती है जो

ओढ़ने में….इसी बहाने

कभी यूँही कह तुम्हें

महसूस कर लिया करेंगे

मलती हूँ तुम्हारा नाम

हाथ पर अक्सर लिख कर

इसी बहाने तुम्हें यूँही कह

इन हथेलियों में छुपा लिया करेंगे

गला जब रुंध आये

और दम घुटने लगे

बाल्टी भर खुद पर उड़ेल लेंगे

इसी बहाने अब भी

तुम्हारी याद में यूँही कह

हम रो लिया करेंगे

हाँ उम्मीदें ख़त्म नहीं होतीं

कम्बख्त बस यही जिन्दा रखती हैं

चलो खैर इसी बहाने कभी यूँही कह

हम जी भी लिया करेंगे......

Tuesday 16 July 2013

तुम्हारे इंतज़ार में
दरवाज़े भी अब
दुखने लगे है
फूलों की खुशबु
बिखर बिखर
खो गयी
सावन बरस बरस
रह गया
राते जाग जाग 
उबने लगी है अब
सुबह तरसने
लगी उबासी के लिए
और इन सब से परे
तुम गुम हो
झिलमिल सी
नज़र आने वाली
एक जलती
बुझती चमक में
एक बहक में .....
जो तुम्हे मुझे से दूर
और तुम्हारी झूठी
सनक में
डुबाये रखता है .......
मैं ये सब जानती हुए
आज भी
तुम्हारे इंतज़ार में
आगन सजाती हूँ ......
रात भर
खुद से बातें करती हूँ
की तुमसे ये कहूँगी
वो कहूँगी
यूँ रुठुंगी ..
वो तस्वीर
दिखाउंगी तुम्हे
जो मैंने बंद
आँखों से अक्सर
कागज़ पर
तुम्हारा नाम लेकर
उकेरी है
तुम्हारे पसंदीदा
रंग की वो
साड़ी तुम्हे पहन
कर दिखाउंगी
वो चूड़ियाँ
जिनकी खनक
की तुम बातें
किया करते थे
वो झुमके
जो तुम्हे 
मेरे कानो में
झूलते हुए
बहुत पसंद थे
मेरी आँखों
का काज़ल .....
मेरे लहराते
रेशमी बालों का
हवा के साथ झूमना
पसंद था तुम्हे
और मेरे वो गीत
जो मैं तुम्हे
तुम्हारे रूठने पर
सुनाया करती थी
अब तो वो भी
नए और
सुरीले हो गए है
तुम्हारे इंतज़ार में.....
हाँ पर
अब मैं गुनगुनाती नहीं
इंतज़ार में हूँ
कब तुम आओ
और इनका वैराग दूर हो
सुनो ……….
तुम मुझे नहीं
मेरे साथ इन सब को
अपने पीछे
इंतज़ार करने के लिए
छोड़ गए हो .....
मुझे तो आदत
तब भी थी .....
और अब भी है
पर
ये अब गिरने लगे है ......
इनके पाव 
कपकपाने लगे है .....
कब ये मुर्छित
हो कर
आखरी साँस ले
मैं नहीं कह सकती
पर मैं खड़ी हूँ ....
और यूँही रहूंगी
तुम्हारे इंतज़ार में
आगन सजाये ....
सपने लिए .....
कुछ कहने के लिए .....
सब देने के लिए .....
तुम्हारे इंतज़ार में ......मैं

Saturday 13 July 2013

ज़िन्दगी 
कम है तुम्हे
प्यार करने के लिए
ये जनम 
कम है तुम्हे
अपना बनाने के लिए
मैं पलके 
यूँही टिकाये 
रखूंगी तुम पर
मेरी आँखों की 
गहरायी कम है
शायद तुम्हे 
छुपाने के लिए
तुम न मिले .....
तो मैं क्यूँ 
बदल जाऊं
एक तुम 
ही काफी हो
बदलने के लिए
मेरी वफायें 
ता-उम्र तुम्हारे 
साथ है
ये वादा ही बहुत है 
मेरा प्यार 
जताने के लिए
मैं हर 
तरह से तुम्हारी
और तुम्हारी 
रहूंगी
यही वजह 
काफी अब
ज़िन्दगी बिताने के लिए 
उम्र 
ये शायद कम पड़े
तुम्हे प्यार 
करने के लिए
मैं हर 
जनम मांग लुंगी
तुम्हे अपना 
बनाने के लिए……….

Saturday 6 July 2013

मौसम आज सुहाना है
गुनगुनाने की बात करते है
दिल से दर्द दे निकाल
फिर धडकनों की बात करते है
आसुओं की सीलन भूल
बारिशों की बात करते है
चलो आज फिर
जीने की बात करते है ....

सुखे फूलों को भूल कर
गुलशन की बात करते है
गम की शाम ढल चुकी
उजली सुबह की बातें करते है
चलो आज फिर
जीने की बात करते है ....

मुद्दते हुई आईना देखे हुए
आज सवरने की बात करते है
रुलाते पल पीछे छोड़े
हसीन वक़्त की बात करते है
चलो आज फिर
जीने की बात करते है ....

तोहमते लगी लगायी गयी
अब बस अपनी बात करते है
नफरतों से जहां भरा
हम प्रेम की बात करते है
चलो आज फिर
जीने की बात करते है .......

Wednesday 3 July 2013

महफिले 
बढ़ा ली है 
तुमने अपनी
दिन से रात 
हो ही जाती है
एक वक़्त का रुकना 
तुमने नहीं देखा
शायद मैं इसलिए 
घडी बंद रखती हूँ
उस समय को 
यही रखा है अपनी 
यादों में समेट कर
और रोज़ उनको 
उलट पुलट कर 
देख लेती हूँ
तुम भूल गये 
मेरे समर्पण को 
सुन्दरता देख कर
मन बदल गया 
तन की बनावट 
देख कर
कितने छोटा 
सोच का कद 
कर लिया
दूसरो की जली 
रोटी देख कर
आश्चर्य होता है
इंसान तेरी 
ज़बान पर
कितने वादे 
किये जो धुआ हुए
बनावटी 
उलझन सुलघा कर
अपनी ज़िन्दगी का 
एक दोर 
तुम्हारे साथ जीया
तुमने ना जाना 
बस दिल का 
दिल बहला लिया
फिर भी चलो 
कोई बात नहीं
मैं फिर भी 
तुमसे प्यार करुँगी
उस रोज़ के 
चंद लम्हों के 
कारण
मैं अपनी ज़िन्दगी 
तमाम करुँगी
मैं फिर भी 
तुमसे 
प्यार करुँगी.......

Tuesday 2 July 2013

एक गीत लिखा है मैंने .....

एक गीत लिखा है मैंने
तेरे मेरे प्यार का
पानी और आग का
तेरे मेरे साथ का
जैसे मिले चंदा चाँदनी से
मिलन उस रात का
रिमझिम पहली फुहार का
महकती बहार का
शहनाई की तान का
मेरे ऐतबार का
तेरे इज़हार का

एक गीत लिखा है मैंने
तेरी मेरी मुलाकात का
ज़ज्बातों के सैलाब का
नजरो की गुफ्तगू का
शर्म और लाज का
तेरे रूठने पर मेरे मनाने का
अपनी दिल्लगी सी बात का
मेरे विश्वास का
तेरे अधिकार का

एक गीत लिखा है मैंने
तेरे हर सवाल का
मेरे नपते जवाब का
रिश्तों की आन का
बेमतलब की शान का
मेरे पल पल की बेगुनाही का
तेरी पलटती जबान का
मेरे टूटते सपनो का
तेरे छूटते अपनों का

एक गीत लिखा है मैंने
तेरी मेरी जुदाई का
यादों की रजाई का
अपने बिखरे जहान का
घुटते सांसों के गुबार का
बिलखते एहसासों का
मुरझाते अरमानो का
मेरे रोती हुई हर रात का
मुझे भूलते तेरे हर दिन का
एक गीत लिखा है मैंने 
तेरे मेरे प्यार का .......

Monday 1 July 2013

पर अब मैं लोट आई हूँ .....

मैं तुमसे दूर चली गयी थी शायद
पर अब मैं लोट आई हूँ
इतने दिन भूली रही थी शायद
पर अब मैं सब साथ लाई हूँ
बीता हर पल दोहरा ना पाऊँगी शायद
पर अब हर पल बहार लाई हूँ
वजह नहीं मिली थी शायद
पर अब बेवजह ही आई हूँ
मैं तुमसे दूर चली गयी थी शायद
पर अब मैं लौट आई हूँ
बातों और बेबातों का दौर था शायद
पर अब बातों पर य़की कर पाई हूँ
मेरी बेबसी का अँधेरा रहा शायद
पर अब उजला सवेरा जगा लाई हूँ
उलझनों का सफ़र कठिन हुआ शायद
पर अब हर डोर सुलझा पाई हूँ
मैं तुमसे दूर चली गयी थी शायद
पर अब मैं लौट आई हूँ
तुमसे प्यार है ये जानना था तुम्हें शायद
पर अब मैं तुमसे प्यार करने आई हूँ
शर्त प्यार में रखनी पड़े शायद
पर अब रूह तक तुम्हारे लिए लाई हूँ
दुनिया दुःख देगी ताउम्र शायद
पर अब खुद से मैं वादा कर आई हूँ
तुझ संग ज़िन्दगी ज़िन्दगी शायद
पर अब तुझ संग मौत भी लिखा लाई हूँ
मैं तुमसे दूर चली गयी थी शायद
पर अब मैं लौट आई हूँ……