Monday, 1 July 2013

पर अब मैं लोट आई हूँ .....

मैं तुमसे दूर चली गयी थी शायद
पर अब मैं लोट आई हूँ
इतने दिन भूली रही थी शायद
पर अब मैं सब साथ लाई हूँ
बीता हर पल दोहरा ना पाऊँगी शायद
पर अब हर पल बहार लाई हूँ
वजह नहीं मिली थी शायद
पर अब बेवजह ही आई हूँ
मैं तुमसे दूर चली गयी थी शायद
पर अब मैं लौट आई हूँ
बातों और बेबातों का दौर था शायद
पर अब बातों पर य़की कर पाई हूँ
मेरी बेबसी का अँधेरा रहा शायद
पर अब उजला सवेरा जगा लाई हूँ
उलझनों का सफ़र कठिन हुआ शायद
पर अब हर डोर सुलझा पाई हूँ
मैं तुमसे दूर चली गयी थी शायद
पर अब मैं लौट आई हूँ
तुमसे प्यार है ये जानना था तुम्हें शायद
पर अब मैं तुमसे प्यार करने आई हूँ
शर्त प्यार में रखनी पड़े शायद
पर अब रूह तक तुम्हारे लिए लाई हूँ
दुनिया दुःख देगी ताउम्र शायद
पर अब खुद से मैं वादा कर आई हूँ
तुझ संग ज़िन्दगी ज़िन्दगी शायद
पर अब तुझ संग मौत भी लिखा लाई हूँ
मैं तुमसे दूर चली गयी थी शायद
पर अब मैं लौट आई हूँ……

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