Sunday, 23 June 2013

मैं अपने हाथों में फिर से मेहँदी लगा लूंगी
तुम जो मेरा नाम एक बार ज़बां से लो
मैं बार बार निसार हो जाऊंगी
तुम एक बार मुझे नज़र उठा के देख लो
मेरे लबों की शोखियाँ फिर बहार हो जाएँगी
तुम मेरे पास आ के लटों को जो फूंक दो
मैं अपनी मचलती अंगड़ाईयों को रोक लूँ
तुम ख्याल में मेरे मुझे जो आके थाम लो
मैं बारिशों में अपने अरमां भिगो लूं
तुम दूर से मुझे जो यूँही छेड़ लो
मैं गीत प्यार के मधुर गुनगुना दूँ
तुम मेरी रात को जो चांदनी बना दो
मैं दिल की हसरतों को तुम संग जी लूँ
तुम मुझे वो नायाब फिर वजह दो
मैं मिटा दूँ अपनी हस्ती
तुम मेरे प्यार को जो अपने दिल में जगह दो

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