Tuesday, 11 June 2013

जब तुम आये थे ...उस दिन
मैं भी सजी थी तुम्हारे लिए उस दिन
दिल संभाला था उस दिन
आंखे चुरायी थी आईने से उस दिन
सपने बुनती रही उस दिन
दूर से महकती रही उस दिन

जब तुम आये थे ...उस दिन
मुस्कुराती फिर घबराती रही उस दिन
लिया दुपट्टा सर से उस दिन
सीखा लाज का लहजा उस दिन
नज़रे झुकाना आया उस दिन
चुप रहना भाया उस दिन

जब तुम आये थे ...उस दिन
आंखे तरसी थी उस दिन
धड़कने तेज़ रही उस दिन
सांसे अटकी पड़ी उस दिन
अपने नये बने उस दिन
तुम करीब आये उस दिन

जब तुम आये थे ...उस दिन
मैं तुम से हम बने उस दिन
सिलसिले को नाम दिया उस दिन
कितने मसरूफ रहे हम उस दिन
खुबसूरत बना दिन उस दिन
काश वक़्त थम जाता उस दिन
जब तुम आये थे ...उस दिन ……

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