तुम्हारी
याद में बादल
बेसब्र हो बरसे रात भर
मचलती रही
एहसासों की चिंगारियां
मर्म दिल के
याद में बादल
बेसब्र हो बरसे रात भर
मचलती रही
एहसासों की चिंगारियां
मर्म दिल के
बहते रहे रात भर
तन्हाइयों का रोना
बेसुरा हो गया
तुम्हारी आवाज़े
कानों में ऐसे
घुलती रही रात भर
सिलवटों की परते
गिनता रहा गुज़रता पहर
न तुम सोये, न मैं सोयी
ख्याल बुनती रही
रात भर……….
तन्हाइयों का रोना
बेसुरा हो गया
तुम्हारी आवाज़े
कानों में ऐसे
घुलती रही रात भर
सिलवटों की परते
गिनता रहा गुज़रता पहर
न तुम सोये, न मैं सोयी
ख्याल बुनती रही
रात भर……….