Tuesday 31 December 2013

तुम्हारी
याद में बादल
बेसब्र हो बरसे रात भर
मचलती रही
एहसासों की चिंगारियां
मर्म दिल के
बहते रहे रात भर
तन्हाइयों का रोना
बेसुरा हो गया
तुम्हारी आवाज़े
कानों में ऐसे
घुलती रही रात भर
सिलवटों की परते
गिनता रहा गुज़रता पहर
न तुम सोये, न मैं सोयी
ख्याल बुनती रही
रात भर……….

Monday 30 December 2013

मैं अक्सर 
सँकरी, तंग काँटों से 
भरी अतीत की
गलियों से गुज़रा करती हूँ
जहाँ नफरतों से 
बदबूदाती ईर्षा की 
सीलन फ़ैली है
गलते दिनों की पपड़ियाँ
झड़ती रहती है
रातों की लाशों से 
राख उड़ती है
कुछ पोटलियाँ बंधी 
कहीं किसी मोड़ पर 
दिख जाती है ख्वाबों की
जो इंतज़ार के मैले पानी
से सनी लगती है
कितनी ही तारीख़े मडराती 
नज़र आती है उनपर
यही मेरी धूप ने
दम तोड़ दिया होगा
दीयों ने अपनी जात
बदल दी यही
और अरमानों ने
खुदखुशी की होगी
ख़ाली चेहरे से रंग
आँसुओं से बह गये
बुझती आँखों ने तभी
अंधकार का कफ़न
ओढ़ लिया
यही कहीं मेरी
चाहतों की दुनिया ने
तड़प कर 
अपनी साँसों को
अलविदा कहा होगा
तभी ये गलियां
अपनी ओर 
मुझे बुलाती है और
मैं अक्सर इन 
सँकरी, तंग काँटों से
भरी अतीत की 
गलियों से गुज़रा करती हूँ……..

Sunday 22 December 2013

कुछ याद नहीं
शाम ढलती कब
जाने कब सवेरा दिन में बदले

पल यूँ बीतें
जैसे बह गया पानी
जाने कब तारीख़े बर्फ़ में बदले

मन का कौना
जैसे रह गया ख़ाली
जाने कब मेरे बेगाने में बदले

अज़ीब है यादे
जैसे हवा से बातें
जाने कब ये आँधियों में बदले

चाहती हूँ रुकना
जैसे घर हूँ मैं
जाने कब सपने हक़ीक़त में बदले…….

Saturday 21 December 2013

मेरे सपने मुझे अब सोने नहीं देते
मेरी पलकों को नम होने नहीं देते

यूँ तो देते हैं मुझे होंसला बहुत पर
मुतमईन कभी मुझे होने नहीं देते

फ़िरते रहते हैं ख्यालों की गलियों में
मेरी सोच को तन्हा होने नहीं देते

एक टूक घूरती है दीवारें रात भर
पहरा हो कोई जैसे रोने नहीं देते

इक बोझ है मजबूरियों का मुझ पर
मेरी ख्वाहिशों को पूरा होने नहीं देते

मालूम है कलम में मेरी है शऊर मगर
कांटे बागबाँ को मुअत्तर होने नहीं देते

Friday 20 December 2013

मैं झड़ जाऊँ, सूखें पत्ते सी
ख़िल जाऊँ या
फ़िर बिख़र जाऊँ

महकती रहूँ, शोख़ पवन सी
महकाती रहूँ या
मुरझा जाऊँ

कुछ कह दूँ, गुज़रती शाम सी
चुप रहूँ या
रो जाऊँ

मैं सिमटी हूँ, आह सी
तू कह दे या
मैं बिछ जाऊँ

मैं रुकी हूँ, तेरे एक इशारे भर के लिए
तू कह दे या
मैं मुड़ जाऊँ ……..

Wednesday 4 December 2013

तेरे ख़त
जो महका करते थे
तेरी खुशबू से
तेरे एहसासों से
आज मुरझाए से लग रहे हैं.....

तेरे लफ्ज़ जो
उतरा करते थे
सीधे दिल में
जो रोशन करते थे
मेरे दोनों कायनात
आज धुंधला से गए हैं....

चुप्पी लगती है अपने रिश्ते कि
जो अब अल्फ़ाज़ों में भी
उतर आयी है

मैं शब्द पढती हूँ
पर मायने नहीं समझ पाती
क्या हुआ है ऐसा
तुम यादों से भी क्यूँ
दूर जाने लगी हो

रह जाओ न यही
इन लफ़्ज़ों में, इन एहसासों में
अपने खतों में…..मेरे लिए 
तुम रह जाओ न…….
जाने कैसे
कोई मेरे दिल में
कल हुआ था दाखिल
जाने कैसे
किसी ने मेरी
नींद चुराई थी

मौसम सर्द था
मनचली भी पुरवाई थी

भीगी पलकों से
बुन रही थी
ख्वाब मोहब्बत का
टूटी जो नींद
हाथ बस
रुसवाई थी

यादों के आँगन में
शायद कुछ फूल
फिर खिले है
जिसकी खुशबु से
चाँदनी भी बोराई थी

तेरी यादों की बारात
हर रात जवां होती है
कल भी शायद
वही से शहनाई 
की आवाज़ आयी थी

मन को फिर भर्म
हुआ होगा
तभी तो मेरे दिल की
कुण्डी तुमने खटखायी थी

जानती हूँ वो तुम ही थे
जो मेरे दिल में फिर
दाखिल हुआ
तुमने ही मेरी 
नींद चुराई थी ……….
चंद लम्हे
तेरे साथ के
ख़ैरात से मेरी झोली
में कुछ जो आ गिरे

सूत लगा
मेरी जान लगा
पूरी शिद्दत से
वक़्त ने फिर वापस लिए

रोज़ ढोती हूँ
बोझ साँसों का
ये ज़िन्दगी बड़ी भारी लगे

अफ़सोस
नाकाम मोहब्बत का
कोई ज़िक्र भी करे
तो ताना लगे

अरदास
गुज़रते लम्हों से
इतनी थम के न गुज़र
की हर पल सदी समान लगे ……

Tuesday 3 December 2013

मैं इतनी पूरी तो नहीं
और न इतनी खाली हूँ
ये दुनिया मुझ से बनती है
इस दुनिया से मैं नहीं हूँ

ज़िन्दगी की 
सांझ होने को आयी
और मेरी धूप की आरज़ू 
इस दुनिया के आँगन में
खत्म हुए जाती है

समय कहता है
अब साँझ अपना ले
पर मुझे अपने
लिय बस एक पहर चाहिए
ये साँझ भी मेरी नहीं है

मुझे तो उस पहर से 
गुज़ारना है 
जिस पहर मैं पूरी हो जाऊँ
मैं तुम संग 
सम्पूर्ण हो जाऊँ……….

Sunday 1 December 2013



मेरी मोहब्बत का रंग 
उतर आया हो जैसे 
पानी में
ठहरा शांत पानी 
मेरी मोहब्बत के जैसा 

जो तुम्हारे लिए 
ठहरी है एक ही जगह 
कितनी भी हवाएं हो 
बहारों कि 
मेरी मोहब्बत तुम्हारे लिए 
बस वहीँ है 

शांत, ठहरी और 
सिर्फ तुम्हारी 
गहरे प्यार का रंग लिए 

स्याह सी जो 
मुझे उसमे डुबोए रखती है 
चुप सी, खामोश सी 
बस मोहब्बत है 
यकीं है ……
और रंगीन है …..तुम से......