तेरे ख़त
जो महका करते थे
तेरी खुशबू से
तेरे एहसासों से
आज मुरझाए से लग रहे हैं.....
तेरे लफ्ज़ जो
उतरा करते थे
सीधे दिल में
जो रोशन करते थे
मेरे दोनों कायनात
आज धुंधला से गए हैं....
चुप्पी लगती है अपने रिश्ते कि
जो अब अल्फ़ाज़ों में भी
उतर आयी है
मैं शब्द पढती हूँ
पर मायने नहीं समझ पाती
क्या हुआ है ऐसा
तुम यादों से भी क्यूँ
दूर जाने लगी हो
रह जाओ न यही
इन लफ़्ज़ों में, इन एहसासों में
अपने खतों में…..मेरे लिए
जो महका करते थे
तेरी खुशबू से
तेरे एहसासों से
आज मुरझाए से लग रहे हैं.....
तेरे लफ्ज़ जो
उतरा करते थे
सीधे दिल में
जो रोशन करते थे
मेरे दोनों कायनात
आज धुंधला से गए हैं....
चुप्पी लगती है अपने रिश्ते कि
जो अब अल्फ़ाज़ों में भी
उतर आयी है
मैं शब्द पढती हूँ
पर मायने नहीं समझ पाती
क्या हुआ है ऐसा
तुम यादों से भी क्यूँ
दूर जाने लगी हो
रह जाओ न यही
इन लफ़्ज़ों में, इन एहसासों में
अपने खतों में…..मेरे लिए
तुम रह जाओ न…….
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