जाने कैसे
कोई मेरे दिल में
कल हुआ था दाखिल
जाने कैसे
किसी ने मेरी
नींद चुराई थी
मौसम सर्द था
मनचली भी पुरवाई थी
भीगी पलकों से
बुन रही थी
ख्वाब मोहब्बत का
टूटी जो नींद
हाथ बस
रुसवाई थी
यादों के आँगन में
शायद कुछ फूल
फिर खिले है
जिसकी खुशबु से
चाँदनी भी बोराई थी
तेरी यादों की बारात
हर रात जवां होती है
कल भी शायद
वही से शहनाई
कोई मेरे दिल में
कल हुआ था दाखिल
जाने कैसे
किसी ने मेरी
नींद चुराई थी
मौसम सर्द था
मनचली भी पुरवाई थी
भीगी पलकों से
बुन रही थी
ख्वाब मोहब्बत का
टूटी जो नींद
हाथ बस
रुसवाई थी
यादों के आँगन में
शायद कुछ फूल
फिर खिले है
जिसकी खुशबु से
चाँदनी भी बोराई थी
तेरी यादों की बारात
हर रात जवां होती है
कल भी शायद
वही से शहनाई
की आवाज़ आयी थी
मन को फिर भर्म
हुआ होगा
तभी तो मेरे दिल की
कुण्डी तुमने खटखायी थी
जानती हूँ वो तुम ही थे
जो मेरे दिल में फिर
दाखिल हुआ
तुमने ही मेरी
मन को फिर भर्म
हुआ होगा
तभी तो मेरे दिल की
कुण्डी तुमने खटखायी थी
जानती हूँ वो तुम ही थे
जो मेरे दिल में फिर
दाखिल हुआ
तुमने ही मेरी
नींद चुराई थी ……….
No comments:
Post a Comment