Wednesday, 4 December 2013

चंद लम्हे
तेरे साथ के
ख़ैरात से मेरी झोली
में कुछ जो आ गिरे

सूत लगा
मेरी जान लगा
पूरी शिद्दत से
वक़्त ने फिर वापस लिए

रोज़ ढोती हूँ
बोझ साँसों का
ये ज़िन्दगी बड़ी भारी लगे

अफ़सोस
नाकाम मोहब्बत का
कोई ज़िक्र भी करे
तो ताना लगे

अरदास
गुज़रते लम्हों से
इतनी थम के न गुज़र
की हर पल सदी समान लगे ……

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