महफिले
बढ़ा ली है
तुमने अपनी
दिन से रात
दिन से रात
हो ही जाती है
एक वक़्त का रुकना
एक वक़्त का रुकना
तुमने नहीं देखा
शायद मैं इसलिए
शायद मैं इसलिए
घडी बंद रखती हूँ
उस समय को
उस समय को
यही रखा है अपनी
यादों में समेट कर
और रोज़ उनको
और रोज़ उनको
उलट पुलट कर
देख लेती हूँ
तुम भूल गये
तुम भूल गये
मेरे समर्पण को
सुन्दरता देख कर
मन बदल गया
मन बदल गया
तन की बनावट
देख कर
कितने छोटा
कितने छोटा
सोच का कद
कर लिया
दूसरो की जली
दूसरो की जली
रोटी देख कर
आश्चर्य होता है
आश्चर्य होता है
इंसान तेरी
ज़बान पर
कितने वादे
कितने वादे
किये जो धुआ हुए
बनावटी
बनावटी
उलझन सुलघा कर
अपनी ज़िन्दगी का
अपनी ज़िन्दगी का
एक दोर
तुम्हारे साथ जीया
तुमने ना जाना
तुमने ना जाना
बस दिल का
दिल बहला लिया
फिर भी चलो
फिर भी चलो
कोई बात नहीं
मैं फिर भी
मैं फिर भी
तुमसे प्यार करुँगी
उस रोज़ के
उस रोज़ के
चंद लम्हों के
कारण
मैं अपनी ज़िन्दगी
मैं अपनी ज़िन्दगी
तमाम करुँगी
मैं फिर भी
मैं फिर भी
तुमसे
प्यार करुँगी.......
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