जैसे
झटके से
खींच कर
मैं
सिहर गयी
फिर तुम्हारे
प्यार की गर्माहट से
सुकूं पा कर
बिछ गयी मैं…
कुछ ऐसे ही
झटके से
खींच कर
तुमने मुझे
अपनी बाँहों में ले लिया
अपनी बाँहों में ले लिया
मैं
सिहर गयी
फिर तुम्हारे
प्यार की गर्माहट से
सुकूं पा कर
बिछ गयी मैं…
तुम्हारी पनाह में
कुछ ऐसे ही
आज
सर्द हवाओं में
सर्द हवाओं में
उजली धूप ने
मुझे अपने गले
लगाया और
आज फिर
मुझे तुम याद आये…………
लगाया और
आज फिर
मुझे तुम याद आये…………
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