मैं अमावस की काली रातें
तुम गिनते
११६ चाँद की रातें
मेरी बरसातों में तुम
मोहब्बत उगाते हो
मैं चुनती हूँ फिर भी ….काँटे
मासूम हो तुम
समझते नहीं संज़ीदगी की
ज़ुबां ……
कुछ लम्हों की तड़प
सुनायी नहीं देती
सिर्फ महसूस होती है
और तुम सब कुछ
तुम चाँद बनो
चाँदनी के, भिगोती रोशनी के
महकते लम्हों के, तरसते
सपनों के
तुम गिनते
११६ चाँद की रातें
मेरी बरसातों में तुम
मोहब्बत उगाते हो
मैं चुनती हूँ फिर भी ….काँटे
मासूम हो तुम
समझते नहीं संज़ीदगी की
ज़ुबां ……
कुछ लम्हों की तड़प
सुनायी नहीं देती
सिर्फ महसूस होती है
और तुम सब कुछ
सुनना चाहते हो
कैसे सुनोगे सिलवटों की
चीख़ें, तकिये की
सिसकियाँ, यादों की रुलाई
मन की तन्हाई
नहीं सुन पाओगे ....... कभी नहीं
कैसे सुनोगे सिलवटों की
चीख़ें, तकिये की
सिसकियाँ, यादों की रुलाई
मन की तन्हाई
नहीं सुन पाओगे ....... कभी नहीं
तुम चाँद बनो
चाँदनी के, भिगोती रोशनी के
महकते लम्हों के, तरसते
सपनों के
मैं अमावस की काली रातें
तुम चुनो
११६ चाँद की रातें,
अपने लिए……
तुम चुनो
११६ चाँद की रातें,
अपने लिए……
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