वही रोज़ के
चार क़दम.........
घर, गली,सड़क
और दुनिया
इतनी ही नापी है
ज़मी
दर, दीवार, खिड़कियाँ
और दरवाज़े
इतना ही देखा
आसमां
मैं, तुम, वो
और हम
इतना ही दूर तक
गयी सोच
आज, कल, परसों
और बरसों
इतना ही देखा है
सपना…
चार क़दम.........
घर, गली,सड़क
और दुनिया
इतनी ही नापी है
ज़मी
दर, दीवार, खिड़कियाँ
और दरवाज़े
इतना ही देखा
आसमां
मैं, तुम, वो
और हम
इतना ही दूर तक
गयी सोच
आज, कल, परसों
और बरसों
इतना ही देखा है
सपना…
No comments:
Post a Comment