Friday, 24 January 2014

कौन हो तुम
मेरी प्यास या
दिल की आस हो तुम
हर सु तू है, तुझ से शुरू
तुझ पे खत्म
दिन हो या रात हो तुम
कौन हो तुम

मैंने जब से समझा रब को
तब से ढूँढा है तुझे को
जीना जाना जबसे
तुझे माँगा है तबसे
कौन हो तुम
मेरी प्यास या
दिल की आस हो तुम

यूँही गुज़री सदियाँ अब तक
पर मैं समझ न पायी
कौन हो तुम
मैं किस्से पूछूँ
कौन हो तुम, मैं कैसे जानु
सवाल लिये फिरती हूँ
अब तक कहीं ठहर न पायी
कौन हो तुम
मेरी प्यास या 
दिल की आस हो तुम
कौन हो तुम...........

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