वो कहता है
तुम्हारे चेहरे के भावों को
गठरी में रख लूँ ,
कम न पड़ जाये कहीं
गिनना है
मुझे गिनती सिखा दो
कितनी नज़मे दे जाती हो
पल भर में तुम
मैं छूता रहता हूँ उन्हें
तुम्हें समझ
बाँहों में भर लूँ उनको
तुम जो
मुझे पढ़ना सीखा दो
अनगिनत है जज़्बात तुम्हारे
समेट लूँ दिल में सारे
तुम थोड़ा जो
तुम्हारे चेहरे के भावों को
गठरी में रख लूँ ,
कम न पड़ जाये कहीं
गिनना है
मुझे गिनती सिखा दो
कितनी नज़मे दे जाती हो
पल भर में तुम
मैं छूता रहता हूँ उन्हें
तुम्हें समझ
बाँहों में भर लूँ उनको
तुम जो
मुझे पढ़ना सीखा दो
अनगिनत है जज़्बात तुम्हारे
समेट लूँ दिल में सारे
तुम थोड़ा जो
धड़कना सिखा दो
हँसती हो
हँसती हो
फूलों सी लगती हो
मैं तुम संग लिपटा
काँटा बन जाऊँगा
मुझे बस
मैं तुम संग लिपटा
काँटा बन जाऊँगा
मुझे बस
मुस्कुराना सीखा दो
एक ख्वाब जैसी लगती हो
एक ख्वाब जैसी लगती हो
मैं भी उनमें
शामिल हो जाऊँ
मुझे ऐसे सोना सीखा दो
सागर हो तुम प्यार का
तुम्हें हर पल महसूस
करूँ , कुछ ऐसे तुम
मुझे भी प्यार सिखा दो
तुम चाँदनी बन
शामिल हो जाऊँ
मुझे ऐसे सोना सीखा दो
सागर हो तुम प्यार का
तुम्हें हर पल महसूस
करूँ , कुछ ऐसे तुम
मुझे भी प्यार सिखा दो
तुम चाँदनी बन
तन पर मेरे
न जाने तुम बिन
न जाने तुम बिन
कितनी बीती
थोड़ा क़िस्मत से
हिसाब में भी कर लूँ
जो तुम मुझे
थोड़ा क़िस्मत से
हिसाब में भी कर लूँ
जो तुम मुझे
गिनना सीखा दो
वो कहता है
आती हो और
वो कहता है
आती हो और
चली जाती हो
तुम संग में रह सकूँ
उम्र भर
अपने दिल में
ऐसे मेरा घर बना दो
मुझे अपना बना दो ……………
तुम संग में रह सकूँ
उम्र भर
अपने दिल में
ऐसे मेरा घर बना दो
मुझे अपना बना दो ……………
मर्म को छूते हुए शब्द .... संवेदन शील रचना
ReplyDeleteशुक्रिया संजय जी ........
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