Thursday, 13 February 2014

बहुत
दिल चाहता है
तुझसे
टूट कर मिलूं

पर ये
वक़्त का ज़हर
मुझे
मुझ-सा
होने नहीं देता……

4 comments:

  1. बेहद उम्दा रचना अनुपम भाव संयोजन के साथ ....बहुत खूब

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  2. मुझे मुझ सा होना भी एक नए जन्म की तरह ही है .

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