फूल
महक, छुअन और
एहसास कुछ नही है
बस तुम हो
रात
चाँदनी, नमी और
कमी कुछ नही है
बस
तुम हो
वक़्त
आरज़ू, आज और
ख्वाब कुछ नहीं है
बस
तुम हो
ज़िन्दगी
बातें, दिन और
भविष्य कुछ नही है
बस
तुम हो
दिल
साँसे, जीवन और
ख़ुशी कुछ नही है
बस
तुम हो
मोहब्बत,
यादें, नज़ारे और
दुनिया कुछ नही है
बस
तुम हो
बस तुम हो….
महक, छुअन और
एहसास कुछ नही है
बस तुम हो
रात
चाँदनी, नमी और
कमी कुछ नही है
बस
तुम हो
वक़्त
आरज़ू, आज और
ख्वाब कुछ नहीं है
बस
तुम हो
ज़िन्दगी
बातें, दिन और
भविष्य कुछ नही है
बस
तुम हो
दिल
साँसे, जीवन और
ख़ुशी कुछ नही है
बस
तुम हो
मोहब्बत,
यादें, नज़ारे और
दुनिया कुछ नही है
बस
तुम हो
बस तुम हो….
उस एक के अन्दर आपने अपना कितना-कुछ समा दिया है... इसे कहते हैं पूर्ण समर्पण।
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई, आदरणीया प्रियंका जी।
बहुत बहुत आभार सर ......
Deleteशुक्रिया अभी जी ....
ReplyDeleteभावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
ReplyDeleteएक से बढ़कर एक रचनाये पढ़ने को मिली आज मन खुश हो गया जी पहली पोस्ट पढ़ी और पढता ही चला गया पियु जी
ReplyDeleteकभी फुर्सत मिले तो नाचीज कि देहलीज़ पर आये
संजय भास्कर
http://sanjaybhaskar.blogspot.in
संजय जी आपकी पसंदगी और सरहाना का बहुत बहुत आभार .............जी जरुर पढूँगी ......
Deletekhoobsurat bhavo ko khoobsurat shabd diye hai aapne ...
ReplyDeleteशुक्रिया कविता जी .....
Deleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteधन्यवाद उपासना जी .....
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