Sunday, 16 February 2014

फूल
महक, छुअन और
एहसास कुछ नही है
बस तुम हो

रात
चाँदनी, नमी और
कमी कुछ नही है
बस
तुम हो

वक़्त
आरज़ू, आज और
ख्वाब कुछ नहीं है
बस
तुम हो

ज़िन्दगी
बातें, दिन और
भविष्य कुछ नही है
बस
तुम हो

दिल
साँसे, जीवन और
ख़ुशी कुछ नही है
बस
तुम हो

मोहब्बत,
यादें, नज़ारे और
दुनिया कुछ नही है
बस
तुम हो

बस तुम हो….

10 comments:

  1. उस एक के अन्दर आपने अपना कितना-कुछ समा दिया है... इसे कहते हैं पूर्ण समर्पण।
    बहुत-बहुत बधाई, आदरणीया प्रियंका जी।

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  2. शुक्रिया अभी जी ....

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  3. भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....

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  4. एक से बढ़कर एक रचनाये पढ़ने को मिली आज मन खुश हो गया जी पहली पोस्ट पढ़ी और पढता ही चला गया पियु जी

    कभी फुर्सत मिले तो नाचीज कि देहलीज़ पर आये

    संजय भास्कर
    http://sanjaybhaskar.blogspot.in

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    1. संजय जी आपकी पसंदगी और सरहाना का बहुत बहुत आभार .............जी जरुर पढूँगी ......

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  5. khoobsurat bhavo ko khoobsurat shabd diye hai aapne ...

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    1. शुक्रिया कविता जी .....

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  6. बहुत सुन्दर...

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    1. धन्यवाद उपासना जी .....

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