करवट बदलती रातों में
मेरे शब्द पंछी बन
ख्यालों कि पगडंडियों पर बैठ
अरमानो के फूल चुगते है
मेरे शब्द पंछी बन
ख्यालों कि पगडंडियों पर बैठ
अरमानो के फूल चुगते है
कुछ खाते और
बाकी अधखाया बिखरा देते है
हर अरमां यूँही
कुछ खाया खाया सा
झूठा किया हुआ.....
बिखरे हुए, अधखाये, झूठे किये
अरमां मेरे....
सड़ने लगे है अब
चीटियां लग गयी है
बास आने लगेगी ....कुछ दिनों में
इतनी दुर्गन्ध और सड़न से
अब तो ....
हर अरमां यूँही
कुछ खाया खाया सा
झूठा किया हुआ.....
बिखरे हुए, अधखाये, झूठे किये
अरमां मेरे....
सड़ने लगे है अब
चीटियां लग गयी है
बास आने लगेगी ....कुछ दिनों में
इतनी दुर्गन्ध और सड़न से
अब तो ....
ये पंछी भी
अपना रास्ता बदल लेंगे
और …….
सुना हो जायेगा
मेरे ख्यालों का बागीचा ......
अपना रास्ता बदल लेंगे
और …….
सुना हो जायेगा
मेरे ख्यालों का बागीचा ......
No comments:
Post a Comment