काश
तुम समझ पाते
मेरे मन कि पीड़ा को
हर
रिश्ते की टूटन से
टूट चुकी थी मैं
तुम मिले तो जैसे
सहारा मिला फिर जीने का
तुम संग मिल रंगीन होने का
मैं
मुरझाई थी
तुमने छुआ तो महक उठी
हाँ तुमसे
रिश्ता नहीं निभाना था मुझे
पर फिर भी
न जाने क्यूँ दिल ने
रिश्ता गढ़ लिया
कुछ
गीली मिट्टी पड़ी थी
एहसासों की
तुम मिले तो उसे भी
अपना आकार मिल गया
नहीं
समझ पायी
कब कैसे ?
तुम मुझ में बसते गये
मैंने तो
पहले ही हर दरवाज़े पर
नमुमकिन का ताला लगाया था
न जाने
कब किस हवा ने वो
कुण्डा तोड़ तुम्हें
अन्दर आने दिया
और तुम भी
मुझमें समाते चले गये
अब मैं
तुम संग
तुम जैसी हो गयी हूँ और
यूँही रहना चाहती हूँ
पर नहीं ……….
नहीं
ये मुमकिन नहीं
तुम जा रहे हो और
तुम्हें जाना ही होगा
मैं
और तुम
कभी हम नहीं हो सकते
मगर
दिल घबरा रहा है
और बस तुम्हें माँगता है
मैं भाग कर
तुमसे लिपटना चाहती हूँ
पर
कुछ बीच हमारे
जो हमें बाँट रहा है और
तुम भी
छूट रहे हो मेरे हाथों से
मुझसे
ये सब बर्दाश्त नहीं हो रहा है
काश
तुम समझ पाते
मेरे मन कि पीड़ा को
हर
रिश्ते की टूटन से
टूट चुकी थी मैं
तुम मिले तो जैसे
सहारा मिला फिर जीने का
तुम संग मिल रंगीन होने का
मैं
मुरझाई थी
तुमने छुआ तो महक उठी
हाँ तुमसे
रिश्ता नहीं निभाना था मुझे
पर फिर भी
न जाने क्यूँ दिल ने
रिश्ता गढ़ लिया
कुछ
गीली मिट्टी पड़ी थी
एहसासों की
तुम मिले तो उसे भी
अपना आकार मिल गया
नहीं
समझ पायी
कब कैसे ?
तुम मुझ में बसते गये
मैंने तो
पहले ही हर दरवाज़े पर
नमुमकिन का ताला लगाया था
न जाने
कब किस हवा ने वो
कुण्डा तोड़ तुम्हें
अन्दर आने दिया
और तुम भी
मुझमें समाते चले गये
अब मैं
तुम संग
तुम जैसी हो गयी हूँ और
यूँही रहना चाहती हूँ
पर नहीं ……….
नहीं
ये मुमकिन नहीं
तुम जा रहे हो और
तुम्हें जाना ही होगा
मैं
और तुम
कभी हम नहीं हो सकते
मगर
दिल घबरा रहा है
और बस तुम्हें माँगता है
मैं भाग कर
तुमसे लिपटना चाहती हूँ
पर
कुछ बीच हमारे
जो हमें बाँट रहा है और
तुम भी
छूट रहे हो मेरे हाथों से
मुझसे
ये सब बर्दाश्त नहीं हो रहा है
काश
तुम समझ पाते
मेरे मन कि पीड़ा को……. काश!!!
मेरे मन कि पीड़ा को……. काश!!!
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