Friday, 23 May 2014

वो कौन है ?

कई बार
ख्याल आता है
जैसे अपनी
कहानी सुना रही हूँ किसी को
मेरा हर घटित लम्हा जैसे
कहानी है और
मैं उसको जी रही हूँ

मेरा सोना
जागना, रोना, हँसना
सभी कहानी में है
लिखा हुआ था कहीं किसी ने
और जी रही हूँ मैं

पर
किसे सुना रही हूँ ?
नहीं पता
कब तक सुनाऊँगी ?
नहीं पता
क्या सुनाती रहूँगी ?
ये भी नहीं पता

अचानक हुई
दुर्घटना के बाद लगा
अब क्या ?

जिसे सब
सुना रही थी वो
अब कहाँ गया ?

खो गया ?
डर गया होगा
शायद …..मैं रहूँ …. रहूँ….
ये सोच उसने
अपना ख्याल बदल लिया

मैंने भी
सुनाना छोड़ कर
लिखना शुरू कर दिया
अब सोचती हूँ
अगर मैं
कल दुनिया से गयी तब
कौन मेरी कहानी सुनेगा ?
और कैसे ?

लिख रही हूँ
अब अपनी कहानी और
ढूंढ रही हूँ एक उसको
जो सम्भाल सके
मेरी कहानी का बोझ

जो मेरी
ज़िन्दगी की दास्ताँ को
मेरी पूँजी समझ अपना ले और
मेरी पूँजी से
मेरे सपने पुरे कर सके
मेरे जाने के बाद ……

पर वो
कौन होगा ?
जो समझेगा मेरे सपने
अपने सपनो जैसे
वो कौन है? …………

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