तेरी
मोहब्बत की
प्यास लिए
चलते रहे, फिरते रहे
थक
गए कभी
कभी हार कर रो लिए
इंतज़ार की धुप में
जलता रहा बदन
छाव की
तलाश में सहरा से
सहरा चले
पर
लगता है
ये प्यास अब
नहीं मिटेगी
कोई आये
ज़हर दे दें मुझको
तेरी
मोहब्बत की
प्यास लिए ही
अब मरने दे मुझको ……….
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