मेरी
बनायीं गयी तस्वीरें
क़ैद है
बंद लिफ़ाफ़े में
जब कभी भी
अपने कमरे में बैठ
बीते कुछ
पल याद करती हूँ
ये लिफ़ाफ़ा
खुदबखुद खुल जाता है
और ये तस्वीरें
साँस लेने लगती है
इनकी साँसों की
आवाज़ इतनी गहरी है की
मैं अपनी
तन्हाई से उबर आती हूँ
क़ैद है
बंद लिफ़ाफ़े में
जब कभी भी
अपने कमरे में बैठ
बीते कुछ
पल याद करती हूँ
ये लिफ़ाफ़ा
खुदबखुद खुल जाता है
और ये तस्वीरें
साँस लेने लगती है
इनकी साँसों की
आवाज़ इतनी गहरी है की
मैं अपनी
तन्हाई से उबर आती हूँ
अक्सर ये
तस्वीरें मुझसे पूछती है
क्यूँ नहीं
तुम हमें खुले में साँस
लेने देतीं
क्यूँ
तस्वीरें मुझसे पूछती है
क्यूँ नहीं
तुम हमें खुले में साँस
लेने देतीं
क्यूँ
इस दुनिया को
हमसे महरूम रखा है........ क्यूँ
और
मैं हर बार
मुस्कुरा कर उनको
समझाती हूँ
तुम जो
परायी हो गयीं तो
मैं
किस के सहारे जियुँगी
तुम ही तो
अब मेरा जीवन हो
डरती हूँ
तुम्हें खोने से
तुम्हारे अलग़ होने से
हमसे महरूम रखा है........ क्यूँ
और
मैं हर बार
मुस्कुरा कर उनको
समझाती हूँ
तुम जो
परायी हो गयीं तो
मैं
किस के सहारे जियुँगी
तुम ही तो
अब मेरा जीवन हो
डरती हूँ
तुम्हें खोने से
तुम्हारे अलग़ होने से
इसलिए तो तुम्हें
सहेजती हूँ, समेटती हूँ
सजाती हूँ, रंग भरती हूँ
सहेजती हूँ, समेटती हूँ
सजाती हूँ, रंग भरती हूँ
और मेरे यूँ कहते ही
मेरी तस्वीरें
मुझे बाँहों में भर लेती है.......
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