Sunday 25 August 2013

आज 
और कल में
गुज़र रही है 
ज़िन्दगी
आज कल को 
नहीं थामता
कल पीछा नहीं
छोड़ता
रोज़ की लडाई
दोनों में से 
कोई भी नहीं हारता

आज 
भी कल को 
ताकती तारीखे
बीते लम्हों के 
निशां तलाशती है
उन एहसासों के 
मायने
आज हर रात 
तराशती है

कल 
में आज का 
निशां नहीं था
भ्रम था पर 
यकीं नहीं था
कल पल पल 
साथ रहता यही
जो ढुढती है
गायब बस वही

सुन कल 
तुझ से ज़िन्दगी 
बंधी है अब
आज संग 
मिल जा
रहना दिल के
कौने में कहीं
कल को मेरा 
आज संभाल लेगा
और आने वाला
कल भी गुजार देगा
मैं सह लुंगी 
समय की धार को
कल की डोर से 
आज कल भी 
पार लगा देगा…..

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