आज
और कल में
गुज़र रही है
गुज़र रही है
ज़िन्दगी
आज कल को
आज कल को
नहीं थामता
कल पीछा नहीं
कल पीछा नहीं
छोड़ता
रोज़ की लडाई
दोनों में से
रोज़ की लडाई
दोनों में से
कोई भी नहीं हारता
आज
आज
भी कल को
ताकती तारीखे
बीते लम्हों के
बीते लम्हों के
निशां तलाशती है
उन एहसासों के
उन एहसासों के
मायने
आज हर रात
आज हर रात
तराशती है
कल
कल
में आज का
निशां नहीं था
भ्रम था पर
भ्रम था पर
यकीं नहीं था
कल पल पल
कल पल पल
साथ रहता यही
जो ढुढती है
जो ढुढती है
गायब बस वही
सुन कल
सुन कल
तुझ से ज़िन्दगी
बंधी है अब
आज संग
आज संग
मिल जा
रहना दिल के
रहना दिल के
कौने में कहीं
कल को मेरा
कल को मेरा
आज संभाल लेगा
और आने वाला
और आने वाला
कल भी गुजार देगा
मैं सह लुंगी
मैं सह लुंगी
समय की धार को
कल की डोर से
कल की डोर से
आज कल भी
पार लगा देगा…..
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