परेशां हूँ
मैं तुमसे
क्यूँ चली आती हो
क्यूँ चली आती हो
बिन बुलाये
हर वक़्त ...बिना वक़्त
सर पर सवार
हर वक़्त ...बिना वक़्त
सर पर सवार
साथ साथ
कितने सवाल है
कितने सवाल है
तुम्हारे .....
कहाँ से लाती हो
कहाँ से लाती हो
सबके बीच में भी
तुम चुप नहीं होती
मुझे घेरे रखती हो
तुम पर किसी का
तुम चुप नहीं होती
मुझे घेरे रखती हो
तुम पर किसी का
जोर नहीं
क्या तुम्हारा
क्या तुम्हारा
कोई घर नहीं
जाओ मुझे
जाओ मुझे
मुझसा रहने दो
बेपरवाह मुझे बेहने दो
मुझे नहीं टोकना
ना मुझे रोकना
मैं अपने आप से
बेपरवाह मुझे बेहने दो
मुझे नहीं टोकना
ना मुझे रोकना
मैं अपने आप से
मिलना चाहती हूँ
तुमसे दूर
तुमसे दूर
बहुत दूर जाना चाहती हूँ
ख़ामोशी नाम है तो
खामोश रहा करो
अपने नाम का कुछ तो
ख़ामोशी नाम है तो
खामोश रहा करो
अपने नाम का कुछ तो
लिहाज किया करो
क्यूँ अपना साम्राज्य
क्यूँ अपना साम्राज्य
फैलाया है
मुझे कमज़ोर समझ तुम
मुझे कमज़ोर समझ तुम
अपना हुकुम
ना सुनाओ
मैं तन्हा जरुर हूँ
मैं तन्हा जरुर हूँ
पर बेचारी नहीं
तुम मुझे ना सताओ
तुम मुझे ना सताओ
जाओ कोई
और दुखी मन
और दुखी मन
तलाशों
मैं तुम से परेशा हूँ
जाओ यहाँ ना आओ
मैं तुम से परेशा हूँ
जाओ यहाँ ना आओ
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