Friday 20 September 2013

कभी वक़्त
मिले तो
मेरे बारे में
भी सोच लेना ....

जो फूल
तुमने कुचल दिए
उनके चाहने वालो के 
बारे में भी सोच लेना

तुमने कितनी 
मजबूरियों की 
दुहायी दी
जीते जी जिसे 
दफना दिया
उस ‘’जान’’ के 
बारे में भी सोच लेना

उस वक़्त को
तुमने दोषी बना दिया 
मेरे तडपते, 
बिलखते गुज़रे
उस हर पल के 
बारे में भी सोच लेना

तुमने सुनाई 
दुनिया दारी 
की दलीले तमाम
कभी मेरी तरफ 
से भी पैरवी कर 
के भी देख लेना

छन से बिखरना 
किसे कहते है
मेरे बिखरे सपनो
के टुकड़ो को 
गिन के भी देख लेना

तुमने की शुरुआत 
और बीच सफ़र 
में लौट लिए
तुम भी कभी 
अपने घर को आग 
लगा के भी देख लेना

मैं परायी लगी 
इसलिय पल में 
बदल गए ?
कभी आईने में 
खुद से ये सवाल 
कर के भी देख लेना.....

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