कभी वक़्त
मिले तो
मेरे बारे में
जो फूल
तुमने कितनी
मेरे बारे में
भी सोच लेना ....
जो फूल
तुमने कुचल दिए
उनके चाहने वालो के
उनके चाहने वालो के
बारे में भी सोच लेना
तुमने कितनी
मजबूरियों की
दुहायी दी
जीते जी जिसे
जीते जी जिसे
दफना दिया
उस ‘’जान’’ के
उस ‘’जान’’ के
बारे में भी सोच लेना
उस वक़्त को
उस वक़्त को
तुमने दोषी बना दिया
मेरे तडपते,
बिलखते गुज़रे
उस हर पल के
उस हर पल के
बारे में भी सोच लेना
तुमने सुनाई
तुमने सुनाई
दुनिया दारी
की दलीले तमाम
कभी मेरी तरफ
कभी मेरी तरफ
से भी पैरवी कर
के भी देख लेना
छन से बिखरना
तुमने की शुरुआत
छन से बिखरना
किसे कहते है
मेरे बिखरे सपनो
मेरे बिखरे सपनो
के टुकड़ो को
गिन के भी देख लेना
तुमने की शुरुआत
और बीच सफ़र
में लौट लिए
तुम भी कभी
तुम भी कभी
अपने घर को आग
लगा के भी देख लेना
मैं परायी लगी
मैं परायी लगी
इसलिय पल में
बदल गए ?
कभी आईने में
कभी आईने में
खुद से ये सवाल
कर के भी देख लेना.....
दर्द...
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