नींदे लिया करती है
रात भर अंगड़ाइयां
आंखे जब देख ले तेरी
धूमिल परछाइयां
महक लिए आती है
यादे ओढ़ कर पुरवाइयां
महफ़िल लगने लगी अब
जैसे बोझल तन्हाईयाँ
कसक जगाती उमड़ उमड़
कर तेरी रुसवाइयां
दूरियों के भवर में डुबो लेती
मुझे सोच की गहराइयाँ
दिल का सुकून बनी
ये कैसी दुश्वारियां
नामाकुल हुए जाते हैं
अज़ब बढती नाकामियां
ढंग देख अपने ही बढती
जाती है हैरानियाँ
मोहब्बत क्या हुई
रात भर अंगड़ाइयां
आंखे जब देख ले तेरी
धूमिल परछाइयां
महक लिए आती है
यादे ओढ़ कर पुरवाइयां
महफ़िल लगने लगी अब
जैसे बोझल तन्हाईयाँ
कसक जगाती उमड़ उमड़
कर तेरी रुसवाइयां
दूरियों के भवर में डुबो लेती
मुझे सोच की गहराइयाँ
दिल का सुकून बनी
ये कैसी दुश्वारियां
नामाकुल हुए जाते हैं
अज़ब बढती नाकामियां
ढंग देख अपने ही बढती
जाती है हैरानियाँ
मोहब्बत क्या हुई
हुई बेइंतिहा परेशानियाँ …
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