कल रात एक अक्स देखा
नाचते हुए पानी में एक अपना देखा
अकसर उसके गले लग कर रोती हूँ बंद आँखों में
ये कैसी जागी हूँ उसे दूर जाते और खुद को रोते देखा
तलाश करू कहाँ कैसे उसे उसने न मिलने का कह कर फिर न मुड कर देखा
याद करती हूँ उसका चेहरा बिखरे टुकडे है जैसे
कुछ पलों को जोड़ कर ये प्रयत्न कई बार मैंने कर के देखा
एक तमन्ना लिए जीते थे ज़िन्दगी से
खुली आँखों से उस आरजू को नश्तर बनते देखा
ज़हर भर गया लम्हों में उस वेहम को
नाचते हुए पानी में एक अपना देखा
अकसर उसके गले लग कर रोती हूँ बंद आँखों में
ये कैसी जागी हूँ उसे दूर जाते और खुद को रोते देखा
तलाश करू कहाँ कैसे उसे उसने न मिलने का कह कर फिर न मुड कर देखा
याद करती हूँ उसका चेहरा बिखरे टुकडे है जैसे
कुछ पलों को जोड़ कर ये प्रयत्न कई बार मैंने कर के देखा
एक तमन्ना लिए जीते थे ज़िन्दगी से
खुली आँखों से उस आरजू को नश्तर बनते देखा
ज़हर भर गया लम्हों में उस वेहम को
नाचते हुए पानी में मचलते अक्स को खोते देखा
No comments:
Post a Comment