भ्रम की बात है या केवल एक पल का खुआब
तुम हो भी यही और या फिर नहीं भी
मैं देखती हूँ अकसर तुमको बहुत करीब
झरती सांसों की लहर में कभी आते जाते नींद के झोंकों में भी
बेशक मेरे एहसास में तुम रवां हो अब
पहले मिल लिया करते थे सपनो में कभी भी
वो दिन वो शामे हर तरफ जब तुम रहे तब
मैं सोचती वही हसीन है जो है तुम संग हर पल तभी
भ्रम की ही तो बात थी वो एक पल का खुआब
तुम थे भी वही और या फिर नहीं भी
तुम हो भी यही और या फिर नहीं भी
मैं देखती हूँ अकसर तुमको बहुत करीब
झरती सांसों की लहर में कभी आते जाते नींद के झोंकों में भी
बेशक मेरे एहसास में तुम रवां हो अब
पहले मिल लिया करते थे सपनो में कभी भी
वो दिन वो शामे हर तरफ जब तुम रहे तब
मैं सोचती वही हसीन है जो है तुम संग हर पल तभी
भ्रम की ही तो बात थी वो एक पल का खुआब
तुम थे भी वही और या फिर नहीं भी
No comments:
Post a Comment