Sunday, 28 April 2013

मैं लिखूंगी ..

कुछ हालात और कुछ लोग कभी नही बदलते
मैं यही सोचती हूँ की मैं क्यूँ नहीं ऐसी हो जाती
जैसे बाकी सारी दुनिया है
फिर यही सोचती की शायद यही फर्क है मुझ मैं
और बाकी लोगों में


कभी जब मन में आता बदल दूँ ये तस्वीर
और इसके बदरंग धुंधले रंग सारे
बना लूँ वैसे जैसे मेरा मन है किसी को देख कर विचलित
हो जाता जो और बच्चों जैसा चंचल प्यार से मान जाने वाला
कितना सुन्दर बन पड़ेगा ज़रा सोचो तो
वो तस्वीर का रंगरूप


परिवर्तन सुधार लाता है और मैं उस सुधार की गूंज
बन कर इस तस्वीर में समा जाना चाहती हूँ
पर इतना आसान नहीं लगता मैं एक आवाज़ बन के
रह जाऊँगी बस, जो कुछ समय बाद दूर तक कहीं
नहीं होगी


अपनी बात पहुचाने का जरिया तलाशती रही
और तलाश मेरी लेखनी पर आ कर समाप्त हुई
और सोच लिया इसका विस्तार करना है अपनी
गूंज को महसूस करना है और अब लिखूंगी
मैं लिखूंगी ........

Sunday, 21 April 2013

कल रात एक अक्स देखा

नाचते हुए पानी में एक अपना देखा

अकसर उसके गले लग कर रोती हूँ बंद आँखों में

ये कैसी जागी हूँ उसे दूर जाते और खुद को रोते देखा

तलाश करू कहाँ कैसे उसे उसने न मिलने का कह कर फिर न मुड कर देखा

याद करती हूँ उसका चेहरा बिखरे टुकडे है जैसे

कुछ पलों को जोड़ कर ये प्रयत्न कई बार मैंने कर के देखा

एक तमन्ना लिए जीते थे ज़िन्दगी से

खुली आँखों से उस आरजू को नश्तर बनते देखा

ज़हर भर गया लम्हों में उस वेहम को 

नाचते हुए पानी में मचलते अक्स को खोते देखा

Saturday, 20 April 2013

भ्रम की बात है या केवल एक पल का खुआब

तुम हो भी यही और या फिर नहीं भी

मैं देखती हूँ अकसर तुमको बहुत करीब

झरती सांसों की लहर में कभी आते जाते नींद के झोंकों में भी

बेशक मेरे एहसास में तुम रवां हो अब

पहले मिल लिया करते थे सपनो में कभी भी

वो दिन वो शामे हर तरफ जब तुम रहे तब

मैं सोचती वही हसीन है जो है तुम संग हर पल तभी

भ्रम की ही तो बात थी वो एक पल का खुआब

तुम थे भी वही और या फिर नहीं भी

Wednesday, 10 April 2013

ना नफा देखा ना नुकसान देखा
जब देखा तुझे बंद आँखों से देखा

खोजती रही अँधेरे में चाबियाँ
अपनी सोच का ताला हमेशा बंद देखा

सुलझाती रही उलझती पहेलियाँ
जो साफ़ था नज़रों को भ्रम में वो भी कहाँ देखा

हलके उजालों में ही लिखती रही वादे तेरे
कब परदा ज़ेहन से हटा के देखा

होना था कभी अपना भी यकीन छलनी
ज़माना इतना कहाँ हमने था देखा

Sunday, 7 April 2013

Tumhari yaad, tumhare khuab, tumhara ehssas
Lo ab tum ho gaye mere........
Y khayal he jo aate h jaate h bevajeh
Tum nahi jo gaye bevajeh....na aane k liy....