थक गयी हूँ मैं क्यूँ साथ लिए जाते हो
पल में हाथ थाम कर फिर क्यूँ झटक जाते हो
अँधेरा कर राह में दूर मंज़िल दिखाते हो
न जाने कैसे हो डर कर फिर खुद ही छिप जाते हो
एक आस बंधा कर झूठी तुम खेल खेलते हो
क्यूँ दिल को ही तुम अपना खिलौना बनाते हो
तेरी फितरत में ही छलावा था .....कितना छुपाते हो
क्यूँ भावनाओ का झूठा कारोबार चलाते हो
तुम अपनी शर्तों का पूरा हिसाब लगाते हो
एक पल के बदले में मेरी ज़िन्दगी मांगते हो
यही सोचती रही की मेरी ख़ुशी चाहते हो
कितनी गलत निकली तुम बस मेरी बर्बादी चाहते हो
पल में हाथ थाम कर फिर क्यूँ झटक जाते हो
अँधेरा कर राह में दूर मंज़िल दिखाते हो
न जाने कैसे हो डर कर फिर खुद ही छिप जाते हो
एक आस बंधा कर झूठी तुम खेल खेलते हो
क्यूँ दिल को ही तुम अपना खिलौना बनाते हो
तेरी फितरत में ही छलावा था .....कितना छुपाते हो
क्यूँ भावनाओ का झूठा कारोबार चलाते हो
तुम अपनी शर्तों का पूरा हिसाब लगाते हो
एक पल के बदले में मेरी ज़िन्दगी मांगते हो
यही सोचती रही की मेरी ख़ुशी चाहते हो
कितनी गलत निकली तुम बस मेरी बर्बादी चाहते हो
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