Friday, 3 October 2014

दिन को इंतज़ार
रात को चाहत
लिखती हूँ ....तुम्हारे लिए

हर पल मुलाकात,
बंद होठों से
इज़हार लिखती हूँ....तुम्हारे लिए

उम्र अधूरी
ज़िन्दगी को
पूरी लिखती हूँ...तुम्हारे लिए

अल्फाज़
कम लगे शायद ...
मैं खुद को लिखती हूँ .....तुम्हारे लिए

3 comments:

  1. Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया मोनिका जी ...

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  2. प्रेम के शाश्वत रुप को व्यक्त करती मन की भावुक अनुभूति --
    बहुत सुंदर प्रेम की कविता --
    सादर

    आग्रह है ----मेरे ब्लॉग में भी शामिल हों
    शरद का चाँद -------
    http://jyoti-khare.blogspot.in

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