Sunday, 29 July 2012


यूँ भी तो हो कभी.....
मेरी चाहतों के फूल तुम्हारे अंगान में खिले
मेरी रातों की चांदनी तुम्हारे बिस्तर पर मिले
मेरे खुआबों की शेहनाई तुम्हारे कानो में बजे

यूँ भी तो हो कभी.....
मेरी खुशियों के खजाने तुम्हारी किस्मत में खुले
मेरी सोच की उड़ान तुम्हारे पंखो पर सजे
मेरे हातों की लकीरे तुम्हारे नसीब में मिले

यूँ भी तो हो कभी......
मैं तुम बिन कुछ भी ना रहूँ
तुम ही मुझ में शामिल रहो
मैं तुम संग मिल सागर बनू
मेरी लेहरों के तुम साहिल बनो

यूँ भी तो हो कभी.....
मैं चलूँ तो तुम मंजील बनो
मैं रुकूँ तो तुम छाया बनो
मैं धरती तुम मेरे आसमान बनो
मेरे अंतर दुआंध के इक तुम ही विराम बनो

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