Saturday 10 December 2011

डूबना तेरे ख्यालों में खुशनुमा लगता है
तेरी यादों से बिछड़ना अब सजा लगता है

क्यों क़दम मेरे तेरी और खिंचे आते हैं
तेरे दिल का कोई दरवाज़ा खुला लगता है

जब तेरा ही ख्वाब हो मेरी पलकों में
तो दिल का धड़कना भी निगाहों को बुरा लगता है

लड़खड़ा जाते क़दम साँस होती बेकाबू
जब शहर में तेरे आने का पता लगता है

आँख नम हुई लब हुए अंगारे
तूने कानों में कोई बात कही लगता है

ऐ हम नफ्ज़ मेरे बहुत है जहाँ में चाहने वाले लेकिन
तेरा अंदाज़ ज़माने में सबसे जुदा लगता है ........पियु

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