Tuesday, 27 September 2011

"मेरी सुबह"

बस तब सोचा मैंने कर लूँ निश्चय तुझ को पाने का 
भर लूँ आंखे सपनो से  कर लूँ  प्रयत्न जीने का
कब तक रहू इंतज़ार में की आएगी मेरी सुबह
जब रात को में जगा करू तो क्यूँ सोचु आएगी "मेरी सुबह"
 
उसके प्यार के  विश्वास पर मैंने अब यकीं कर लिया
वही है  मेरा सवेरा अब रात भर जागना छोड़ दिया
वो आते रहे सपनो में यूँही अब करवटे बदलना छोड़ दिया
उनकी चाह से बदल रही  हूँ अब  उनको अपना मान लिया  
 
ज़िन्दगी आसान नहीं जानती हूँ दर्द देगी नया
अभी सोचा जी लूँ फिर सोचते है जो भी हुआ
इतना अगर सोचती रही कहीं ये ख़ुशी फिर न रूठे
तू है नादान ये कह कर मेरा दिल न तोडे 
 
होगा जो भी वो देखेंगे साथ रहेंगे तो सब सह लेंगे 
होगी दुनिया भी हेरान रहेगी वो भी परेशान
थोडा ज़माने को भी सता ले ....उसने हमें है बहुत रुलाया  
थोड़ा सा बदला हम भी चुका ले ...
बस  तब सोचा मैंने कर लूँ निश्चय तुझ को पाने का
भर लूँ आंखे सपनो से  कर लूँ  प्रयत्न जीने का
 
 

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